Monday, May 19, 2008

जयंती या वोट इंजीनियरिंग

सरकारी विभागों कि कार्य गति और कारगुजारियाँ किसी से छिपी नहीं हैं। कुर्सी पर बैठा बाबू हो या अधिकारी अपने विशेष हित के बगैर छुट्टी मनाता ही नजर आता है। कुर्सी पर पहुँचते ही पानी और फिर चाय, फिर थोडी राजनीति और थोड़े ठहाके ...फिर शाम कि चाय और फिर छुट्टी.बीच में यदि कुछ लोगों पर मेहरबानियाँ हुईं भी,टू उसकी पूरी कीमत जेब में।
इस सबके बावजूद हर रोज एक नए सरकार घोषित अवकाश से रूबरू होना हतप्रद करता है। कुछ दिन पहले माननीय काशीराम जयंती का अवकाश और अब 'वोट इंजीनियरिंग' के अंतर्गत भगवान् परशुराम जयंती का अवकाश भी उत्तर प्रदेश सरकार कि नई पहल है।महापुरुषों कि जयंती मनाने के लिए क्या हम कुछ नया नहींसोच सकते? उस विशेसदिन हम सच्चाई के साथ महापुरुष के कुछ गुरों को स्वयं में धारण करने का प्रयास नहीं कर सकते? सरकारी कर्मचारियों कि कार्य संस्कृति को बदलने के प्रयास करना भी महापुरुषों कि जयंती मनाने का एक तरीका हो सकता है। हर महापुरुष कि जयंती पर सरकारी अवकाश घोषित कर आराम तलबी को बढावा देने कि संस्कृति बदलने कि आवश्यकता है।

बदलने को देश ,कुछ हमें भी बदलना चाहिये।

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