Sunday, June 29, 2008

बिकाऊ है !

बिकाऊ है !
सब कुछ बिकाऊ है
धर्म,ईमान,इंसान
शैतान,भी बिकाऊ है
खरीदार चाहिए-
भगवान् भी बिकाऊ है
खुला बाज़ार देखो
योग बिकता,भोग बिकता
रोग भी बिकाऊ है
संत बिकते,श्रीमंत बिकते
नेता बिकाऊ,अभिनेता बिकाऊ
hunde bikau , गुण्डे बिकाऊ

बिकाऊ कलम-
ओढ़ बेशर्मी,शर्म भी बिकाऊ है
खरीद पाओ तो खरीदो
न्याय की तराजू, हतोड़ा
कुर्सी भी बिकाऊ है
मेरे देश!
मैं डर रहा हूँ
तुम्हारी अस्मिता को
न कोई बेच डाले
भले मुझे बेच ले-
मैं तो,
पहले से ही बिकाऊ हूँ!

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