Saturday, November 3, 2007

रंग-बदरंग

रंग मुझे आकर्षित करते हैं.सूर्योदय और सूर्यास्त के आकाशीय रंग,खिलते फूलों के रंग,उड़ती तितलियों के रंग और ऐश्वर्य से भरेपूरे रत्नों के रंग किसकी आंखों को नहीं भाते,मुझे भी बहुत भाते हैं.
रंगों का संसार जीवन में रंग भर देता है.ज्योतिष में रंगों के विशेष प्रभावों का वर्णन भी है.प्रत्येक व्यक्ति के लिए विशेष रंग शुभ या अशुभ होता है.कुल मिला कर रंग हमारे जीवन का अंग हैं.
अब बात रंग बदलने कि,रंग बदलना लोग अच्छा नही मानते.रंग लोग बदलते हैं और कहेंगे-गिरगिट कि तरह रंग बदल रहा है.बेचारा गिरगिट अपनी जान बचाने को रंग बदलता है,लोग रंग बदलते हैं अपने स्वार्थ साधने के लिए.दोनो में बड़ा अंतर है भाई.आख़िर नेताओं ,अभिनेताओं और dharmdhawajadhariyon से रंग बदलने वालों कि उपमा क्यों नही दी जाती? आख़िर क्यों?क्या हम रंग बदलने के मामले में बहुत आगे नही हैं?या हम बदरंग ही हैं,केवल बातें ही रंगीन करते हैं.क्या हम सुधर नही सकते?

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