Tuesday, October 23, 2007

कैसे बात करूं

कैसे बात करूं तनमन की,
मौसम का बदल गया रंग.

लहराये परचम वादों के

गड़े गए संवाद विवादों के.
नुचवाये खुद पंख कपोतों ने,

कैसे बात करूं शबनम की,
मौसम का बदल गया रंग.

तने गा रहे,महल पथरीले.
सिसकेमेड़ों के गीत सुरीले.
बनवाये पिंजरे तोतों ने,

कैसे बात करूं सरगम की,
मौसम का बदल गया रंग.

कूक सीने मे,हाँथ खाली.
जलाए बाग़ खुद,आज माली.
चाह को सताया चहेतों ने-

कैसे बात करूं हमदम की,
मौसम का बदल गया रंग.

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